शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

ऐ बादल बता तेरा मज़हब कौन सा है - गुलज़ार

मस्जिद पे गिरता है

मंदिर पे भी बरसता है..
ए बादल बता तेरा मजहब कौनसा है........।।

इमाम की तू प्यास बुझाए
पुजारी की भी तृष्णा मिटाए..
ए पानी बता तेरा मजहब कोन सा है.... ।।

मज़ारो की शान बढाता है
मुर्तीयों को भी सजाता है..
ए फूल बता तेरा मजहब कौनसा है........।।

सारे जहाँ को रोशन करता है
सृष्टी को उजाला देता है..
ए सुरज बता तेरा मजहब कौनसा है.........।।

मुस्लिम तूझ पे कब्र बनाता है
हिंदू आखिर तूझ में ही विलीन होता है..
ए मिट्टी बता तेरा मजहब कौनसा है......।।

ऐ दोस्त मजहब से दूर हटकर, इंसान बनो
क्योंकि इंसानियत का कोई मजहब नहीं होता.।।

गुलज़ार

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