बिहार की शिक्षा को बर्बाद करने में किस का हाथ है ? इस विषय पर अवश्य चर्चा वाद-विवाद होनी चाहिए जब देश प्रदेश का शिक्षाविद बुद्धिजीवी वर्ग वाद विवाद करना छोड़ देता है तो ह्रास होना शुरू हो जाता है यही हालात आज बिहार में शिक्षा का हो गया है बुद्धिजीवियों के खामोशी ने बिहार मे शिक्षा को नित्य नये प्रयोग की सामग्री बना शिक्षा को बर्बाद किया जा रहा है।
बिहार की 80 प्रतिशत आबादी शिक्षा के मामलों में सरकारी स्कूलों पर निर्भर करती है और सरकार का नित्य नया नया प्रयोग यहीं होता है क्योंकि मध्यम वर्गीय और गरीबों के बच्चे यहीं पढ़ते हैं ।
सोमवार, 26 सितंबर 2016
बिहार की शिक्षा को बर्बाद करने में किस का हाथ ?
ए आर रहमान ने मज़हब इस्लाम क्यों क़बुल किया ?
हम ईश्वर की शरण में आना चाहते थे !
इस्लाम कबूल करने का फैसला अचानक नहीं लिया गया। यह फैसला मेरा और मेरी मां दोनों का सामूहिक फैसला था। हम दोनों सर्वशक्तिमान ईश्वर की शरण में आना चाहते थे।
संगीतकार ए आर रहमान ने सन् 2006 में अपनी मां के साथ हज अदा किया था। हज पर गए रहमान से अरब न्यूज के सैयद फैसल अली ने बातचीत की। यहां पेश है उस वक्त सैयद फैसल अली की रहमान से हुई गुफ्तगू।
भारत के मशहूर संगीतकार ए आर रहमान किसी परिचय के मोहताज नहीं है।
तड़क-भड़क और शोहरत की चकाचौंध से दूर रहने वाले ए आर रहमान की जिंदगी ने एक नई करवट ली जब वे इस्लाम की आगोश में आए। रहमान कहते हैं-इस्लाम कबूल करने पर जिंदगी के प्रति मेरा नजरिया बदल गया।
भारतीय फिल्मी-दुनिया में लोग कामयाबी के लिए मुस्लिम होते हुए हिन्दू नाम रख लेते हैं, लेकिन मेरे मामले में इसका उलटा है यानी था मैं दिलीप कुमार और बन गया अल्लाह रक्खा रहमान। मुझे मुस्लिम होने पर फख्र है।
संगीत में मशगूल रहने वाले रहमान हज के दौरान मीना में दीनी माहौल से लबरेज थे। पांच घण्टे की मशक्कत के बाद अरब न्यूज ने उनसे मीना में मुलाकात की। मगरिब से इशा के बीच हुई इस गुफ्तगू में रहमान का व्यवहार दिलकश था। कभी मूर्तिपूजक रहे रहमान अब इस्लाम के बारे में एक विद्वान की तरह बात करते हैं।
दूसरी बार हज अदा करने आए रहमान इस बार अपनी मां को साथ लेकर आए। उन्होने मीना में अपने हर पल का इबादत के रूप में इस्तेमाल किया। वे अराफात और मदीना में भी इबादत में जुटे रहे और अपने अन्तर्मन को पाक-साफ किया। अपने हज के बारे में रहमान बताते हैं-अल्लाह ने हमारे लिए हज को आसान बना दिया। इस पाक जमीन पर गुजारे हर पल का इस्तेमाल मैंने अल्लाह की इबादत के लिए किया है।
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