मंगलवार, 20 सितंबर 2016

शिवहर के प्रहलाद:-श्रीरघुनाथ झा जी

राम बाबू सिंह
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"मित्रता अल्लाह की ओर से उन्हें अनमोल भेंट है।बड़े खुश नसीव है वो,जिन्हें नसीव से वे दोस्त मिलें।आपसी सामन्जस्य से मित्रों में परस्पर फिक्र करने  की असीम प्रवृति ,हाल जानने की बेचैनी तथा बिना माँगे सहयोग की ललक ही, सच्ची मित्रता है,जो आदरणीय झा जी के जीवन की सार्थकता को सिद्ध करता है।

होलिका दहन में शिवहर से दूष्ट बिचारों के विनाशक एंव होलिका भष्म के साथ होली के लाल गूलाल से हर्षोउल्लास के वाताबरण में विकास के अग्रदूत के रूप में स्व० पंडित जिया लाल झा जी के आंगन में पुज्यनिया माँते स्व० कलावती जी के गर्भगृह से अवतरित आदरणीय श्री रधुनाथ झा जी के समर्पित प्रयास एंव कुर्बानियों से ही शिवहर अनुमंण्डल फिर जिला बन कर विकसित बनने  हेतु उद्धारक के प्रतिक्षा में है ?
           शिवहर को अनुमंडल बनाने के शर्त-माँग पर डा०जग्रन्नाथ मिश्र जी के नेतृत्व में गठित बिहार सरकार के मंत्रीमंडल से त्यागपत्र सौंप कर नीजि स्वार्थ से उपर"शिवहर का विकास"उनके जीवन का महानलक्ष्य "साध्य एंव साधन" रहा! कालान्तर में जिला बनाना, प्रशासन को जनता के निकट पहूँचाकर सुगम न्याय हेतु प्रखण्डों का बिभाजन एंव सृजन,नवसृजित पंचायतों का गठन,सीतामढ़ी जिला परिषद अध्यक्ष के नाते ग्रामीण यूनानी चिकित्सालयों को पून:जीवन के साथ जिला परिषद तथा ग्रामीण सड़कों का चयन करा कर P.W.D.& R.E.O में समायोजन से सुदृढ़ी करण कर वे शिबहर के समावेशी विकास का मार्ग प्रसस्त किये !
*शिक्षा के प्रसार हेतु प्रत्येक  प्रखण्डों में अपने राजनीतिक  मित्रों, शुभचिंतकों से दान में भूमि एंव सहयोगियों के सहयोग से भवन निर्माण करा कर उच्चबिधालय स्थापित करायें ! वे स्वत:भी अपने माता-पिता के नाम पर नीजी भूमि बदलैन या क्रय करके अम्बा में कलावती-जियालाल उच्च बिधालय बनाये।जिसमें केन्द्रीय बिधालय भी आज संचालित है! जो जिला का गैरव बढ़ा रहा है।
*बिहार सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री के दायित्व मिलते ही उनके प्रयास से प्राथमिक,माध्यमिक,उच्चबिधालयों के सृजन-सुदृढ़ी करण एंव समायोजन से दूरदराज के गाँव-गवई मेंअभिभावकों के साथ बच्चों में पढ़ाने-पढ़ने की प्रवृति स्वत:जागृत हो गयी। शिवहर जिला मुख्यालय में झा जीअपने मित्र स्व० जगदीश नन्दन सिंह जी के सौजन्य से भूमि तथा भवन की व्यबस्था कर प्रोजेक्ट कन्या उच्च बिधालय स्थापित कर तथा पठन-पाठन प्रारंम्भ करा कर राज्य सरकार से प्रस्वीकृति प्रदान कराये जो वालिका उच्च बिधालय कालान्तर में इन्टर काँलेज के रूप में बच्चियों में शिक्षा का व्यापक आधार सिद्ध हो रहा है !आज सक्षम नेतृत्व के अभाव में शिबहर में अभी भी डिग्री काँलेज नहीं है !
*स्वास्थ्य मंत्री के नाते रेफरल अस्पताल,अनुमंण्डल चिकित्सालय, अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र तथा उप केन्द्रों का सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सृजन कर सुगम चिकित्सा का मार्ग प्रसस्त किये !शासन-प्रशासन की अदूरदर्शिता से आज भी अम्बाकला के निर्माणाधिन रेफरल अस्पताल में लाखों की लागत तथा कड़ोड़ों की भूमि उदेश्य बिहीन हो गयी है ! सक्षम नेतृत्व के अभाव में शिबहर जिला मुख्यालय में झा जी के मित्र स्व०सीता राम बाबू,फतहपुर के सौजन्य से निर्मित आदर्श जिला चिकित्सालय भी उद्धारक /उदधाटनकर्ता के प्रतिक्षा में कराह रहा है !
*स्वच्छ पेजल आपूर्ती योजना हेतु निर्मित या अर्द्धनिर्मित कई नौ लखा पानी टंकी मिनार बन कर शोभा बढ़ा रहा है ! ग्रामीण स्तर तक स्वच्छ पेजल आपूर्ती की यह योजना  सक्षम नेतृत्व के अभाव में भूमि नहीं मिलने के कारण शिवहर जिला के ग्रामीण पंचायतों तक नहीं पहूँच पा रहा है !
*जेल निर्माण के साथ ब्यबहार न्यायालय स्थापित करा कर आम जनों के समीप न्यायालय तो स्थापित हो गया! परन्तु न्यायधिशों ,अधिवक्ताओं केआवासीय समुचित व्यबस्था उनकें बच्चों  के पठन पाठन की सुबिधा का अभाव,विकसित शहरीकरण नहीं होने के कारण सक्षम पदाधिकारी यहाँ नहीं रह पाते !
*औधोगिक एरिया के लिए भूमि का चयन,अधिग्रहण तो दूर सांसद, बिधायक किसी नेता की सोच भी स्वरोजगार या रोजगार सृजन हेतु नहीं बन सका है!अपने लिए भी मेकैनिकल ईटभट्टा का ही उधोग लगा रखें है।जिसमें रोजगार सृजन का क्षरण है।
*आदरणीय झा जी के प्रयास से शिवहर को रेलवे से जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना को मुर्त रूप देना तो दूर बिहार राज्य पथ परिबहन निगम की बसों से भी शिवहर से पटना को नहीं जोड़ी जा सकी है !
*संचार क्रान्तिके क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा शिवहर जिला के प्रत्येक पंचायतों को बाण्ड बौक्स सेवा से जोड़ दिया गया है।परन्तु समाज सेवी राजनेताओं में सक्षम नेतृत्व के अभाव से औप्टिकल फाईवर ही पंचायतों में नहीं पहूँच पाया है।गाँव की सुधी लेने बाले निर्बाचित सत्ताधारी दल के जन प्रतिनिधियों में इक्षा शक्ति, एंव प्रभाव शाली व्यक्तित्व का घोर अभाव खटकता है ?
*आदरणीय श्री रधुनाथ झा जीअम्बाकला बहूधंधि सहकारी सहयोग समिति लि०के सचिव से बिहार राज्य सहकारी गृह निर्माण सहयोग संघ लि० एंव बिहार राज्य सहकारी उपभोक्ता भंण्डार संघ लि० में निर्वाचित निदेशक के रूप में नेतृत्व प्राप्त कर विदेशों में सहकारी आन्दोलन का प्रतिनिधित्व भी किये।मुखिया या बिधायक बनने पर भी पैदल ग्रामीण भ्रमण में जाते थे! वे गाँव की समस्यायों को स्वत: संकलित कर सम्बन्धित कार्यालय में पदाधिकारियों से समाधान कराने का प्रयास करते थे! बागमती नदी की बिभिषिका से त्रस्त सड़क बिहीन शिवहर चारोतरफ से बाढ़ से घिरा रहता था।डूब्बा घाट पर नाव एक मात्र आवागमन का साधन हुआ करता था ! अनेकों नाव डूबने की दूर्घटनायों में एक-बार में18 व्यक्तियों की मृत्यु बागमती नदी के काल की गाल में हो जा रही थी ! फिर भी समाज सेबा की भावना से झा जी ढ़ेग पुल के नीचे से नाव पर सबारी कर अदौरी कटाब देखते ,बसबरिया में रात्री विश्राम कर पंचायतों का भ्रमण कर ज्वलन्त समस्यायों को गाँव में सकंलित करते ! पून: चकफतेहा ,बराही खैड़ापहाड़ी, दोस्तिया ,कटैया,से पुरनहिया पड़ाब में इलाके के आमलोगों, मुखिया, सरपंच तथा शुभचिंतकों के साथ क्षेत्रिए विषयों  की समीक्षा कर ज्वलंन्त समस्यायों का संकलन कर समाधान का प्रयास करते। पिपराही प्रखण्ड मुख्यालय में पदाधिकारियों के साथ बैठकों में जाने से पहले वे स्थानीय लोगों से बिमर्ष कर ज्वलंत संकलित समस्यों का संकलन कर समाधान कराते !
*अगला पड़ाब अम्बा कोठी स्व०नग नारायण कुँवर जी के यहाँ होता तथा पैदल या नाव से गाँव का भ्रमण करते चमनपुर या शिवहर में पड़ाब होता ! शिवहर भ्रमण के क्रम में भी वैसे ही दो- तीन दिनों के पड़ाब में सभी गाँव का भ्रमण कर संकलित समस्यायों के समाधान करने का प्रयास करते रहते थे !  यही लगाव क्षेत्र की जनता से बनाये रखने के बल पर आदरणीय झा जी1977 के काँग्रेस बिरोधी लहर में तो विजयी रहे ही बल्कि काँग्रेस दल की राजनीतिक प्रतिद्वन्दिता में तत्कालिन  मुख्य मंत्री स्व० चन्द्र शेखर सिंह द्वारा टिकट काटने पर शिवहर की जनता ने नारा दिया "हाथ नहीं ,रघुनाथ चाहिए " तथा उन्हें विजयश्री दिलाकर बिहार बिधान सभा में भेज दिया !सदैब कार्यकर्ताओं से जुड़े रहने का ही प्रतिफल मिला वे"अम्बाओझा टोला के फर्स से राष्ट्रीय राजनीति में शीर्ष "पर पहूँचे। कालान्तर  में  वे गोपलगंज एंव वेतिया लोक सभा क्षेत्रों से क्रमश:सांसद तथा भारत सरकार में भारी उधोग राज्य मंत्री भी बने परन्तु जननी- जन्म भूमि होने के नाते शिवहर के विकास हेतु सदैव प्रयत्नशील रहे ! कुमार जी ,शिवहर में इनका अभाव खटकता है ,प्रयास करें !
*अनुकरणीय:-"मित्रता अल्लाह की ओर से उन्हें अनमोल भेंट है।वो बड़े खुश नसीव है,जिन्हें नसीव से वे दोस्त मिले।आपसी समान्जस्य से मित्रों में  परस्पर फिक्र करने  की असीम  प्रवृति, हाल जानने की बेचैनी तथा बीन माँगे सहयोग की  ललक ही सच्ची  मित्रता  है, जो आदरणीय  झा  जी के जीवन  की  सार्थकता  को  सिद्ध करता है।"
आदरणीय श्री रघुनाथ झा जी सभी जाति,धर्म के समाज सेवी "कार्यकर्ताओं के प्रति समर्पित राजनेता" के रूप में अनुकरणीय

अप्रतिम हस्ताक्षर"है!
Cooperative society for People.
रामबाबू सिंह
निदेशक,
बिस्कोमान पटना।
अभिराजपुर बैरिया।
शिवहर।
सीतामढ़ी(बिहार)

हम जिनको इंसान बनाते रहते हैं

क़ासिम ख़ुरशीद
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हम जिनको  इंसान  बनाते  रहते हैं
वो  दिल  को  वीरान  बनाते  रहते हैं
ये दुनिया तो प्यार से कितनी खiली है
हम  हैं   कि  शैतान   बनाते   रहते  हैं
जिन  को  तू  ने  गुमनामी  में छोड़ा  है
अक्सर  वो   सुल्तान  बनाते  रहते  हैं
जो  पहले   सीने  पे    खंजऱ  सहते  हैं
वो  जीना   आसान   बनाते    रहते  हैं
किलकारी  का  क़त्ल  यहाँ पर होता है
क्यों  घर  को  सुनसान  बनाते  रहते  हैं
फुटपाथों पर  जिन की किस्मत सोती है
घर   वो    आलीशान   बनाते   रहते   हैं
लंबे   सफ़र   पे  ख़ाली  हाथ  जो होते  हैं
वो   घर   के   सामान  बनाते   रहते    हैं
अंदर  अंदर   कोई     तेलावत    करता   है
हम   दिल   को क़ुर'आन   बनाते रहते  हैं
अब क़ासिम पर कैफ़ो-कम का  आलम है
वो   ग़म   का   दीवान    बनाते   रहते   हैं

जवानों के शहादत पर सियासत

मेहजबीं
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कल भारत के जवान शहीद हुए कुछ लोग इस घटना को भी भुना रहे हैं, नफरत फैलाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, किसके दिल में क्या है क्या नहीं है यह जानना उनका जाती काम बन गया है, और नफरत ने अंधा कर दिया है, सही ग़लत में फ़र्क़ भी नहीं कर सकते हैं, कितनी प्राकृतिक आपदाएं आती हैं और अचानक से लोग मौत के मुँह में चले जाते हैं, ऐसी ही दु:ख की घड़ियों में कुछ लोग नया साल धूमधाम से मनाते हैं, होली - दिवाली, ईद, शादी-ब्याह सब सेलीब्रेट करते हैं,  तो क्या दु:ख की घड़ी में कुछ नौजवान जो इन्जॉय करते हैं हम उन्हें देशद्रोही घोषित कर दें  ?

          आज के टाइम में एक तो किसी को किसी से संवेदना नहीं है, अब व्यक्ति समाजवादी कम व्यक्तिवादी ज्यादा हो गए हैं, आज हर शख़्स अपनी जाती जिंदगी के हालातों में बंधा है, कुछ लोगों की तो संवेदना समाप्त हो ही गई है, उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता, किसी से उन्हें लगाव नहीं होता, लेकिन अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जो अच्छे इंसान हैं, उनके दिल दिमाग़ सुलझे हुए हैं, संवेदना भी है उनके पास, लेकिन अपनी उलझनों में उलझे हुए हैं चाहकर भी कुछ किसी के लिए न कह पाते हैं न कर पाते हैं, तो क्या ऐसे लोगों को हम देशद्रोही ज़ल्लाद घोषित कर दें? किसने दिया है किसी को यह हक़ के कोई भी किसी को भी अपनी नफरत के आइने में जांचें, और देशद्रोही कह दे? इसी समाज में एक ही मोहल्ले में मौत हो जाती है और उस घर में मातम छा जाता है, और उसी दिन उसी मोहल्ले में किसी घर में शादी होती है और वहां लोग इन्जॉय करते हैं, डिज़े बजाते हैं, कूदते हैं, नाचते हैं, पटाखे फोड़ते है, जब्कि वह लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारे ही मोहल्ले के एक घर में मौत हो गई है, तो क्या हम उन नादान संवेदना रहित लोगों को जाकर मार दें? देशद्रोही घोषित कर दें? इस तरह की असंवेदनशीलता तो लोगों में पैदा होती ही जा रही है, रही सही कसर सोशल मीडिया ने पुरी कर दी है, लोग अब अपनी संवेदना फेसबुक और वटसऐप पर ही व्यक्त करते हैं, लाइक, शेयर, कमेन्ट्स के द्वारा.... कल शहीद हुए जवानों पर भी लाखों लोगों ने अपनी संवेदना इसी तरह फेसबुक- वटसऐप के द्वारा व्यक्त की है, और आगे भी इसी तरह करेंगे क्योंकि अब वक्त आगे ही जाएगा लौटकर पिछे तो जाने से रहा, कल जिन - जिन भारतीयों ने जवानों के शहीद होने की ख़बर को शेयर किया, लाईक किया, कमेन्ट्स लिखे, फेसबुक वटसऐप पर श्रधांजलि व्यक्त की, बस वही सच्चे देशभक्त हैं, बाक़ी तो गद्दार हैं, देशद्रोही हैं, जिन भारतीयों के घरों में शादियाँ थी और उन्होंने अपनी शादियों में इन्जॉय किया, वटसऐप और फेसबुक पर शहीदों को श्रधांजलि नहीं दी, वो भी देशद्रोही हैं, गद्दार हैं, मार देना चाहिए उन्हें, आज की तारीख़ में हर शख़्स जज बन गया है, किसी को भी अपने नज़रिये के पैमाने में तोलेगा और देशद्रोही घोषित करेगा और मार देगा, देशभक्ति के सर्टिफिकेट बांटने वालों की बाढ़ आ गई है, अगर किसी साहित्यकार, लेखक, पत्रकार ने उनके नज़रिये के मुताबिक नहीं सोचा, नहीं लिखा तो वह गद्दार है, देशद्रोही है..... लिखने वाले भी तो इंसान होते हैं, उनकी जाती परेशानियां होती हैं, लगातार लिखते-लिखते अगर कभी-कभी वो लिखना कुछ दिनों, हफ्तों, महिनों के लिए बंद कर दें, अपने कुछ व्यक्तिगत कारणों से तो क्या उन्हें शक़ की नज़र से देखने लगे? कि फलां फलां विषयों पर लिखा, आज कुछ विषयों पर नहीं लिखा, तो वो देशद्रोही है, गद्दार है.... कल शहीद जवानों की घटना पर अगर कोई साहित्यकार, पत्रकार, लेखक या कोई आम आदमी किसी व्यक्तिगत कारणों से नहीं लिख सका टिप्पणी कर सका तो क्या उसकी नियत पर हम शक करने लगेंगे? या फिर किसी आम आदमी ने किसी बीमार ने डिप्रेशन के मरीज़ ने थोड़ा सा इन्जॉय कर लिया, क्योंकि उसका डॉ उसे खुश रहने के लिए फोर्स करता है, तरह- तरह की ऐक्टिविटी में इन्वॉल्व होने के लिए सलाह देता है, और कोई अपनी ऐक्टिविटी के द्वारा इन्जॉय कर लेता है तो हम उसे देशद्रोही कह देंगे? उसे लताड़ेंगे?

अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का सबका नज़रिया अलग- अलग होता है, कोई अपनी खुशी ग़म को ज़ाहिर कर देता है, बता कर, लिख कर, कोई नहीं ज़ाहिर करता है... नॉर्मल रहता है, कुछ भी व्यक्त नहीं करता, तो क्या अब ऐसे व्यक्ति को हम जांचेंगे? उसकी आलोचना करेंगे? क्या मालूम की उस व्यक्ति को अच्छी बुरी घटनाओं पर हमसे भी ज्यादा दु:ख होता हो  खुशी होती हो.... और वो ज़ाहिर नहीं करता, लेकिन कुछ लोगों को तो जन्मसिद्ध अधिकार है लोगों की निंदा करने का, और नियतों पर शक़ करने का, और आजकल ये फेसबुक और वटसऐप तो ऐसी बलां हैं कि भाई अगर कोई फेसबुक वटसऐप पर है तो, वहां हाज़िरी देनी ज़रूरी है, और अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करना भी ज़रूरी है, नहीं तो कुछ लोग वाट लगाने से बाज़ नहीं आते, व्याध की तरह ज़ाल बिछाकर बैठे रहते हैं, जैसे ही कोई फेसबुक वटसऐप के नियमों का पालन न करे, इनके मन मुताबिक अभिव्यक्त न करे, इनके मन मुताबिक पोस्ट न शेयर करे, बस हमला कर देंगे, देशद्रोही का सर्टिफिकेट थमा देंगे, जो लोग कल शहीदों की घटना पर संवेदनशील होने का ढोंग कर रहे हैं, दूसरों को देशद्रोही के सर्टिफिकेट बांट रहे हैं, उन्होंने अपनी जाती जिंदगी से जुड़े कामों को तर्क़ (ऐवॉइड ) किया हो या न किया हो, तीनों वक्त की रोटी छक कर खाई हो, मॉर्निंग वॉक किया हो, खेलकूद, फुटबाल, वालीवॉल, क्रिकेट, ताश, टेनिस, गिट्टे, कंच्चे, लट्टू खेले हों, फिल्में- नाटक देंखे हों... इसके बावज़ूद दूसरों पर टिप्पणी ज़रूर करेंगे, आजकल दो चेहरे वाले और फेसबुकिया- वटसऐपया संवेदनशील व्यक्तियों की टिप्पणियों से ईश्वर रक्षा करे, यह तो सबसे ज्यादा ख़तरनाक हैं, विदेशियों से भी ज्यादा,

सत्ता में कभी कॉग्रेस रहेगी और कभी बीजेपी, कोई गद्दी पर चढ़ेगा और कोई उतरेगा, कुर्सी कभी किसी एक की न थी और न कभी होगी, यह बात कॉग्रेस बीजेपी समर्थकों को क्यों समझ में नहीं आती? किसी राजनीतिक पार्टी को समर्थन क्या हम लोग आपस में नफरत करके ही कर सकते हैं? अपने जाती मुफाद के लिए तो अंदरूनी पर्दे के पीछे से कभी-कभी राजनीतिक दल भी, आपस में हाथ मिला लेते हैं, तो फिर हम अवाम, आम आदमी क्यों कॉग्रेस- बीजेपी समाजवादी, बहुजनसमाजवादी, पार्टियों के चक्कर में आपस में नफरत करते हैं? एक-दूसरे पर शक़ करते हैं? कल की शहीदों की शहादत पर एकदूसरे पर उंगली न उठाएं, आपसी भाईचारे को न ख़राब करें, दोषी है हमारी बीजेपी- कॉग्रेस की आती - जाती सरकारें, जो पाकिस्तान का कुछ नहीं करती, अपने जाती मुफाद के लिए तो पाकिस्तान और भारत की सरकारें आपस में गले मिलती हैं, हाथ मिलाती हैं, दावतें उड़ाती हैं, अभी कुछ दिन बाद ही मोदी जी और नवाजशरीफ जी गले मिल लेंगे, और हमें आपस में लड़ा देंगे, और ऐसे नेताओं के लिए जो लोग आपस में लड़ते हैं, बेवकूफ हैं मैं सिर्फ मोदी जी नवाजशरीफ के लिए नहीं कह रही, पिछले साठ सालों में आई गई सरकारों के संदर्भ में कह रही हूँ, हमारे जवान ऐसे ही शहीद होते रहेंगे, और यह पार्टियां उनकी लाशों पर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेक़ती रहेंगीं..... आम आदमी,मज़दूर, ग़रीब लोग देशभक्ति के सर्टीफिकेट बांटने का काम न करें, मुट्ठी में नमक लेकर न घूमे, यह काम नेताओं का है,और उन्हीं पर शोभा देता है ......

मेहजबीं

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नियोजित शिक्षक भुखमरी के शिकार

Sitamarhi bihar ke niyojit teachers ko जुलाई 2016 se hi vetan ka payment nahi kiya ja raha hai jis se akser teachro ki halat khasta ho chuki hai qarz ke bojh se ye teacher dab gaye hai inke samne bhookhmari ki naubat aa chuki hai aur sarkar quality education ki bat karti hai sarkar ko sharm karni chahiye
         teachers ko pareshan kar sarkar apna nuqsan par nuqsan karti ja rahi hai magar hose nahi aa rahi hai bihar me agar sabse ziysda reaserch hota hai to wah hai education barbad kar ke rakh diya hai sarkar ne education ko school ke khulne ka time 10.30AM aur band hone ka 4.00PM is se behter time table koi hai hi nahi

कुलथी के औषधीय गुण और उपचार

कुलथी(दलहन) के गुण
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 कुलथी को दक्षिण भारत में काफी ज्यादा खाई जाने वाली दलहन है। दक्षिण भारत में इसके अंकुरित दाने तथा इसके पकवान बनाए जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इसमें अनेको स्वास्थ्य लाभ हैं। कुलथी के दानों में काफी सारा प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम और लौह होता है।

➡ किडनी स्टोन :
कुलथी के सेवन से पथरी टूट कर छोटी होती है, जिससे पथरी सरलता से मूत्राशय में जाकर पेशाब के रास्ते से बाहर आ जाती है।

➡ बुखार और सदी-खांसी :
कुलथी अस्थमा, बुखार, सदी-खांसी या जकड़न से निजात दिलाती है। थोड़ी सी कुलथी को पानी में उबालें, इस पानी से बुखार को नियत्रिंत करने में मदद मिलेगी।

➡ 🐝 मधुमेह 🍇 :
इसके नियमित सेवन से आपका बढा हुआ ग्लूकोज लेवल सामान्य भी हो सकता है।

➡ मासिक धर्म 👸 गड़बड़ी :
जिन महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होती है या फिर अनियमित माहवारी होती है, उनके लिये यह लाभकारी है। इसमें मौजूद लौह शरीर में हीमोग्लोबिन बढाता है।

➡ कब्ज :
इसमें मौजूद ढेर सारा फाइबर कब्ज में आराम दिलाता है। इससे पेट आराम से साफ हो जाता है।

➡ पेट की समस्या :
रोज इस्तेमाल करने पर कीड़ों से होने वाले इंफेक्शन और पेट की परेशानियाँ जैसे एसीडिटी आदि दूर रहतीं हैं।

➡ शुक्राणुओं 💂 की गिनती बढाए :
कुलथी में कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन और अमीना एसिड होते हैं, जो कि स्पर्म बढ़ाने के लिये योगदान करते हैं। कुलथी सीमेन से गंदगी को बाहर भी निकाली है।

➡ मोटापा 🙌 कम करना :
यह शरीर की चर्बी को घटाती है और कफ जो कि मोटापे की जड़ है उसे दूर करती है। इसमें ढेर सारा प्रोटीन और फाइबर होता है, जिससे आसान से वजन कम होता है।

▶ कैसे करें प्रयोग :
कुलथी को रात भर पानी में भिगो कर रखना पड़ता है। सुबह इसे साफ पानी से धो कर कुकर में पका लें, जिससे इसकी सब्जी या सूप बना सके। अगर आप इसे स्प्राउट के रूप में खाएं तो इसकी पोषण छमता ज्यादा बढ जाएगी।

▶ किसे नहीं खाना 🚫 चाहिये :
प्रेगनेंट महिलाएं, जिन्हें वजन बढाना हो या फिर टीबी के रोगी को।

परिहार से भिस्वा मार्ग को दुरूस्त किया जाय- मोहम्मद कमरे आलम

परिहार  (सीतामढी )।परिहार से भिस्वा मार्ग को दुरूस्त किया जाय ये बातें मोहम्मद कमरे आलम ने बिहार पथ निर्माण विभाग पटना के वेब पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर किया है।परिहार से भिस्वा मार्ग की हालत दयनीय हो चुकी है जिस पर पैदल चलना भी आम लोगों को दुशवार हो गया है।
        मामूली बारिश में प्रखणड कार्यालय के सामने, हाईस्कूल के निकट, बिकाऊ चाय दुकान के सामने सड़क टापू में परिवर्तित हो जाता है कमाल तो ये है सभी पदाधिकारी, जन प्रतिनिधियों का गुजर इसी मार्ग से होता है फिर भी ध्यान नही दिया जाता है। जर्जर सड़क और सड़कों का अतिक्रमण कर लिए जाने की वजह से अक्सर दुर्घटनाएँ होती रहती हैं ।
             मालूम हो कि जर्जर सड़क और सड़कों के अतिक्रमण के कारण दुर्घटना में कई जानें जा चुकी है।ट्रक से कुचल कर हाईस्कूल के सामने एक नौजवान की मौत घटना स्थल पर ही हो गई ।अभी 19 सितम्बर 16 को परिहार चौक के दक्षिण ट्रांस्फ़ाॅरमर के निकट बस से कुचल कर छ:वर्षीय बालक की मृत्यु घटना स्थल पर ही हो गई।

मेथी दाना का कमाल और औषधीय गुण

मेथी दाना
बहुत ही चमत्कारी दवा है :-

250 ग्राम मैथीदाना
100 ग्राम अजवाईन
50 ग्राम काली जीरा

उपरोक्त तीनो चीजों को साफ-सुथरा करके हल्का-हल्का सेंकना(ज्यादा सेंकना नहीं) तीनों को अच्छी तरह मिक्स करके मिक्सर में पावडर बनाकर कांच की शीशी या बरनी में भर लेवें ।

रात्रि को सोते समय एक चम्मच पावडर एक गिलास पूरा कुन-कुना पानी के साथ लेना है। गरम पानी के साथ ही लेना अत्यंत आवश्यक है लेने के बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है। यह चूर्ण सभी उम्र के व्यक्ति ले सकतें है।

चूर्ण रोज-रोज लेने से शरीर के कोने-कोने में जमा पडी गंदगी(कचरा) मल और पेशाब द्वारा बाहर निकल जाएगी । पूरा फायदा तो 80-90 दिन में महसूस करेगें, जब फालतू चरबी गल जाएगी, नया शुद्ध खून का संचार होगा । चमड़ी की झुर्रियाॅ अपने आप दूर हो जाएगी। शरीर तेजस्वी, स्फूर्तिवाला व सुंदर बन जायेगा ।

‘‘फायदे’’
1. गठिया दूर होगा और गठिया जैसा जिद्दी रोग दूर हो जायेगा ।
2. हड्डियाँ मजबूत होगी ।
3. आॅख का तेज बढ़ेगा ।
4. बालों का विकास होगा।
5. पुरानी कब्जियत से हमेशा के लिए मुक्ति।
6. शरीर में खुन दौड़ने लगेगा ।
7. कफ से मुक्ति ।
8. हृदय की कार्य क्षमता बढ़ेगी ।
9. थकान नहीं रहेगी, घोड़े की तहर दौड़ते जाएगें।
10. स्मरण शक्ति बढ़ेगी ।
11. स्त्री का शारीर शादी के बाद बेडोल की जगह सुंदर बनेगा ।
12. कान का बहरापन दूर होगा ।
13. भूतकाल में जो एलाॅपेथी दवा का साईड इफेक्ट से मुक्त होगें।
14. खून में सफाई और शुद्धता बढ़ेगी ।
15. शरीर की सभी खून की नलिकाएॅ शुद्ध हो जाएगी ।
16. दांत मजबूत बनेगा, इनेमल जींवत रहेगा ।
17. नपुसंकता दूर होगी।
18. डायबिटिज काबू में रहेगी, डायबिटीज की जो दवा लेते है वह चालू रखना है। इस चूर्ण का असर दो माह लेने के बाद से दिखने लगेगा । जिंदगी निरोग,आनंददायक, चिंता रहित स्फूर्ति दायक और आयुष्ययवर्धक बनेगी । जीवन जीने योग्य बनेगा ।

कुछ लोग कलौंजी को काली जीरी समझ रहे है जो कि गल्त है काली जीरी अलग होती है जो आपको पंसारी/करियाणा की दुकान से मिल जाएगी जिसके नाम इस तरह से है

हिन्दी कालीजीरी, करजीरा।
संस्कृत अरण्यजीरक, कटुजीरक, बृहस्पाती।
मराठी कडूकारेलें, कडूजीरें।
गुजराती कडबुंजीरू, कालीजीरी।
बंगाली बनजीरा।
अंग्रेजी पर्पल फ्लीबेन।

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