बुधवार, 19 अक्तूबर 2016

मुस्तकीम सिद्दीकी का पत्र रवीश कुमार(एन डी टीवी) के नाम

प्रिय रविश जी |

( यह हम जैसे आम आदमी का आक्रोश है , हमारे इस आक्रोश और क्रोध को न तो मीडिया दबा सकती है और न ही प्रशासन , सर मिन्हाज़ अंसारी की क्रूर हत्या एक ज्वाला बन कर उठ रही है , ऐसा ज्वाला जो देश में एक बदलाव ला सकती है , जो देश में एक क्रांती पैदा कर सकती ,जो देश में हलचल पैदा कर सकती है | सर हम आपको आपका  पक्षपात बता रहे हैं , सर हम आपको आपकी हिंदुत्व एजेंडा को उजागर कर रहे हैं , सर हम आपका मुस्लिम विरोधी चरित्र उजागर कर रहे है | और यह सब इसलिए कर रहे हैं के आप रोहित विमुला की हत्या को हत्या मानते हैं , गुजरात में दलितों की पिटाई को अत्याचार मानते हैं , दिल्ली की सड़कों पर बलात्कार को बलात्कार मानते हैं लेकिन जब यही घटना मुसलामानों के साथ होता है तब आप के स्क्रीन की छमता या तो घट जाती है या फिर आप अपने ध्रुव पर आ जाते हैं | )

रविश सर जी कल मैंने आपके मोबाइल नंबर पर शाम लगभग 6 बजे कॉल किया था , आपने कॉल रिसीव नही की , यह सोंचकर के किसी आम आदमी का कॉल होगा या यह सोंच कर के कोई आम बात होगी , सर दोनों बातें सत्य है , मैं एक आम आदमी हूँ और बातें जो करनी थी वह भी आम थी | सर आम आदमी इसलिए के आप मुझे नहीं जानते हैं और इसलिए भी के आप के जानने वाले भी मुझे नही जानते | सर बातें आम इसलिए थी के एक २२ वर्षीय मुस्लिम लड़का मिन्हाज़ अंसारी को झारखण्ड की पुलिस अपने सरकार के चहितों की मदद से थाने में बहुत ही क्रूरता एवं दरिंदगी से पिट पिट कर जान मार देता है  और आम इसलिए भी के गौरक्षों को खुश करने के लिए मारा जाता है और मुस्लिमों को भयभीत करने के लिए भी | सर थाने में क्रूरता एवं दरिंदगी से पिट पिट कर जान मारने को मैं आम बात इस लिए कह रहा हूँ के मुसलमानों को इस तरह मारना हमारे देश में आम बात हो चुकी है | सर जी हमने गौरक्षों जैसा शब्द का प्रयोग क्रोध में आकर किया है चुनके होस व् हवास में हम इसे गौआतंकी कहते हैं | क्रोध में कुछ बातें गलती से निकल जाती है और सुनने वाला समझ जाता है के यह बात गुस्से में बोली जा रही है | दुसरी बातें इस पत्र में, मैं की जगह हम शब्द का प्रयोग करने का अर्थ  यह है के सिर्फ मैं नही चाहता बलके देश का हर शांती पसंद व्यक्ती मेरी तरह चाहता है |

अब आपसे मैं कुछ कहना चाहता हूँ , आप से एक आग्रह करना चाहता हूँ उम्मीद है के आप हमारी बातों को ध्यान से सुनेगें , और हम जैसे आम आदमी की खाहिश भी पुरी करेंगे , सर आप नही भी करेंगे तो हम कुछ नही कर सकते बस आपसे एक उमीद थी के आप करेंगें | आपसे उमीद करने के कुछ ख़ास कारण है चुनके आपसे हमारा एक रिश्ता है , आपसे हमारा एक संबंध है यह जरुरी नहीं के खून का रिश्ता ही एक रिश्ता होता है और यह भी जरुरी नहीं है के निजी संबंध से ही एक संबंध होता है | और हाँ अब बात खून पर आ चुकी है तो मैं चाहता हूँ के एक दिन के लिए आप अपना प्राइम टाइम वाला टीवी स्क्रीन रेड कर दें , सर उसी तरह जैसे आपने एक दिन ब्लैक किया था | सर फर्क सिर्फ इतना हो के जब आपने स्क्रीन ब्लैक किया था तो रंग से ब्लैक हुआ था, लेकिन जब रेड करें तो खून से , खून मैं अपना और अपने बेटे का देने को तैयार हूँ | सर अपना और अपने बेटे का इसलिए के अखलाक और मिन्हाज़ का खून मैं नही दे सकता चुनके अखलाक और मिन्हाज़ का खून मैं नही ला सकता | सर अखलाक और मिन्हाज़ के नाम पर आपको मेरी तरह करोड़ों लोग भी खून देने को तैयार हो जायेंगे, आपकी टीवी स्क्रीन खून से लाल हो जायेगी , सर इससे आपका कुछ नुक्सान नही होगा लेकिन हमारा फ़ायदा हो जाएगा इसलिए के आपने जब स्क्रीन ब्लैक किया था तो यह राष्ट्रीय घटना की तरह देखा गया था और आम लोगों पर अच्छा ख़ासा असर पडा था , सर जब आप खून से रेड करेंगे तो आपके स्क्रीन पर खून जम जाएगा , मैं जानता हूँ के जिस दिन आपके टीवी स्क्रीन पर जमा हुआ खून देश देखेगा तो देश में कोई तीसरा अखलाक या दुसरा मिन्हाज़ जैसा घटना नही होगा |
सर हम यह भी जानते हैं के हमारी बातों पर आप अपने टीवी स्क्रीन को रेड नही करेंगे चुनके आपके कुछ प्रोटोकॉल भी होंगे , आप पर कुछ दबाव भी होंगे , आप पर कुछ अलग आदेश भी होंगे और सबसे बड़ी बात यह है के हम आम आदमी हैं , आम आदमी के साथ मुसलमान हैं और झारखण्ड में है जहाँ बीजेपी की सरकार हैं | अगर ऐसा है तो आप प्राइम टाइम वाला टीवी स्क्रीन को खून से रेड मत कीजिये बस प्राइम टाइम में इस पत्र को पढ़ ही दीजिये या इस पर एक खबर तो चला ही दीजिये | सर हम आपसे आख़री आग्रह यह करेंगे के अगर यह सब नही कर सकते हैं तो आप अपने पत्रकार को २२ अक्टूबर को जामताड़ा ही भेज दीजिये , उस दिन आप चाहे तो लाइव भी देख सकते हैं के लोगों में कितना आक्रोश है , लोगों में कितना क्रोध है , लोगों में कितना गम है | आप खुद जान जायेंगे के यह लोग कौन हैं जिसमे आक्रोश है , इतना क्रोध है और गम भी , यह लोग सिर्फ मुसलमान नही हैं , इसमें आधे से अधिक आपको हिन्दू मिलेंगे, सर इसको कोई पकड़ कर नही ला रहा है , इसे कोई पैसे देकर नही ला रहा है , इसे कोई लालच देकर नही ला रहा है , इसे कोई डरा और धमका कर भी नही ला रहा है | 

यह आक्रोश , क्रोध और गम सिर्फ इसलिए नही है के एक मुसलमान मरा , इस आक्रोश के  कई कारन है , पहला सबसे बड़ा कारन मोबाइल पर गौमांस का फोटो रखने पर एक २२ वर्ष के लड़के को क्रूरता , दरिंदगी एवं अमानवीय तरीके से पिट पिट कर थाने में जान मार दिया जाता है  , दुसरा मुख्य कारण थाने में पिट पिट कर पुलिस और आरएसएस के कार्यकर्त्ता मिल कर मारते हैं , तीसरा मुख्य कारण हत्यारे पुलिस और आरएसएस कार्यकर्ता या किसी पर भी हत्या का केस दर्ज नहीं किया जाता है , चौथा मुख्य कारण पुलिस पोस्ट मोर्टम रिपोर्ट से छेड़ छाड़ का प्रयास करती है , पांचवा मुख्य कारन पुलिस द्वारा क्रूरता , दरिंदगी एवं अमानवीय तरीके से पिट पिट कर जान मारने पर कोई प्राइम टाइम पर डिबेट नही होता है , किसी न्यूज़ चैनल पर इसे एक दिन की भी कवरेज नही मिलती है , किसी टीवी चैनल पर इसकी एक्स्क्लुसिंभ रिपोर्टिंग नही होती है , सर हम यह चैनल वाली बात उस चैनल की तरफ इशारा कर रहे हैं जो सीना बोरा और इन्द्रनी मुख़र्जी के मामले में हफ़्तों तक डिबेट या एक्सक्लूसिव रिपोर्टिंग करती थी , यह कैसा मीडिया है , यह कैसा पत्रकारिता है , यह कैसा लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है के इस अमानवीय घटना पर चुप , खामोश और मौन है ?
सर हमें पता है के आप अपने पत्रकार को भी कवरेज के लिए नही भेजेंगे , आप इस पर कोई एक्सक्लूसिव रिपोर्टिंग भी नही करेंगे , आप लाइव तो दूर की बात एक स्क्रॉलिंग में भी जगह नही देंगे चुनके आप इस मुद्दे पर गंभीर नही हैं , चुनके आप इसे एक गरीब की हत्या मानते हैं , चुनके आप इसे आम आदमी की हत्या मानते  हैं , और आप लोगों को गरीब और आम आदमी की चिंता नही है , चुनके अब आप पत्रकारिता से ज्यादा व्यक्तित्व का ध्यान रखते हैं , आप इमानदारी से ज्यादा रसुख का ख्याल रखते हैं , आप पेशा से ज्यादा पैसा का ध्यान रखते हैं | आपको हमारी बाते चुभ रही होगी , हमारा अंदाज़ आपको टिस पहुंचा रही होगी , हमारा पत्र आपको दुखी कर रहा होगा लेकिन सर सच कह रहा हूँ अगर आप मिन्हाज़ अंसारी की गिरफ्तारी से पहले , गिरफ्तारी के बाद और हत्या से पहले और हत्या के बाद की तस्वीर देख लें ,तो आप विचलित हो जायेंगे , फिर आप आम और खास में फर्क नही करेंगे , फिर आप अपने आप को रोक नही  पायेंगे |
सर यह हम जैसे आम आदमी का आक्रोश है , हमारे इस आक्रोश और क्रोध को न तो मीडिया दबा सकती है और न ही प्रशासन , सर मिन्हाज़ अंसारी की क्रूर हत्या एक ज्वाला बन कर उठ रही है , ऐसा ज्वाला जो देश में एक बदलाव ला सकती है , जो देश में एक क्रांती पैदा कर सकती ,जो देश में हलचल पैदा कर सकती है | सर हम आपको आपका  पक्षपात बता रहे हैं , सर हम आपको आपकी हिंदुत्व एजेंडा को उजागर कर रहे हैं , सर हम आपका मुस्लिम विरोधी चरित्र उजागर कर रहे है | और यह सब इसलिए कर रहे हैं के आप रोहित विमुला की हत्या को हत्या मानते हैं , गुजरात में दलितों की पिटाई को अत्याचार मानते हैं , दिल्ली की सड़कों पर बलात्कार को बलात्कार मानते हैं लेकिन जब यही घटना मुसलामानों के साथ होता है तब आप के स्क्रीन की छमता या तो घट जाती है या फिर आप अपने ध्रुव पर आ जाते हैं |

सर मिन्हाज़ अंसारी की हत्या ने प्रशासन और मीडिया की मानवता की पोल खोल कर रख दी है , सर मानवता की थर्मामीटर ने मीडिया को उसकी छवी बता दी है , सर चौथा स्तंभ अपनी शक्ती खो चूका है और अब किसी के सहारे पर खड़ा हुआ  है , एक समय था जब लोग मीडिया का सहारा चाहते थे लेकिन अब मीडिया किसी का सहारा चाहता है | सहारा पूंजीपतियों का , सहारा फासीवादियों का , सहारा एक ख़ास वर्ग का |

सर अब मैं आपको ज्यादा कष्ट नही दूंगा , सर अब मैं आपको ज्यादा परेशान नही करूँगा, सर अब मैं आपको अधिक तकलीफ नही दूंगा |

सर यह एक बिहारी का पत्र बिहारी के नाम है , यह एक मजलूम की तरफ से हक की आवाज़ उठाने वालों के नाम है , यह सत्य को दबाने वालों के विरुद्ध एक हुंकार है इस पत्र में मैंने आपकी आलोचना की है जो सत्य पर आधारित है , आलोचना करना हमारा लोकतान्त्रिक अधिकार है | अत : अंत में केवल इतना ही कहना है के आप हमारी आवाज़ को न दबाये |

धन्यवाद

मुस्तकीम सिद्दीकी ( Mustaqim Siddiqui )

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