शुक्रवार, 27 जनवरी 2017
अपनी समस्या हमें लिखें हम आप की आवाज़ बनेंगें
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एडमिन
26 जनवरी को यौम ए जम्हूरिया क्यों मनाया जाता है ?
गणतंत्र दिवस हर भारतवासियों के लिए बहुत मायने रखता है, जिसे हम बेहद ही उत्साह के साथ मनाते हैं। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता है। 26 जनवरी 1950 को भारतीय इतिहास में इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि भारत का संविधान, इसी दिन अस्तित्व मे आया था और भारत इस दिन पूर्ण गणतंत्र देश बना।
बेहद बड़ा है हमारा संविधान
वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्गविजय सिंह भैये ने बताया कि संविधान निर्माण की प्रक्रिया में 2 वर्ष, 11 महिना, 18 दिन लगे थे। भारतीय संविधान के वास्तुकार डॉ.भीमराव अम्बेडकर प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। भारतीय संविधान के निर्माताओं ने विश्व के अनेक संविधानों के अच्छे लक्षणों को अपने संविधान में आत्मसात करने का प्रयास किया है। इस दिन भारत एक सम्पूर्ण गणतांत्रिक देश बन गया था। देश को गौरवशाली गणतंत्र राष्ट्र बनाने में जिन देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया उन्हें 26 जनवरी के दिन याद किया जाता और उन्हें श्रद्धाजंलि दी जाती है।
कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
अधिवक्ता दुर्गविजय सिंह भैये ने संविधान से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य बताये।
1- 26 जनवरी 1950 को 10.18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया।
2- गणतंत्र दिवस की पहली परेड 1955 को दिल्ली के राजपथ पर हुई थी।
3- भारतीय संविधान की दो प्रत्तियां जो हिन्दी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई।
4- पूर्ण स्वराज दिवस (26 जनवरी 1930) को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया था।
5- भारतीय संविधान की हाथ से लिखी मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई हैं।
6- भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमैंट हाऊस में 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी।
7- गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं और हर साल 21 तोपों की सलामी दी जाती है।
8- 29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है जिसमें भारतीय सेना, 9 वायुसेना और नौसेना के बैंड हिस्सा लेते हैं। यह दिन गणतंत्र दिवस के समारोह के समापन के रूप में मनाया जाता है।
9- गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री अमर ज्योति पर शहीदों को श्रद्धाजंलि देते हैं जिन्होंने देश के आजादी में बलिदान दिया।
शुक्रवार, 20 जनवरी 2017
ऐ बादल बता तेरा मज़हब कौन सा है - गुलज़ार
मंदिर पे भी बरसता है..
ए बादल बता तेरा मजहब कौनसा है........।।
इमाम की तू प्यास बुझाए
पुजारी की भी तृष्णा मिटाए..
ए पानी बता तेरा मजहब कोन सा है.... ।।
मज़ारो की शान बढाता है
मुर्तीयों को भी सजाता है..
ए फूल बता तेरा मजहब कौनसा है........।।
सारे जहाँ को रोशन करता है
सृष्टी को उजाला देता है..
ए सुरज बता तेरा मजहब कौनसा है.........।।
मुस्लिम तूझ पे कब्र बनाता है
हिंदू आखिर तूझ में ही विलीन होता है..
ए मिट्टी बता तेरा मजहब कौनसा है......।।
ऐ दोस्त मजहब से दूर हटकर, इंसान बनो
क्योंकि इंसानियत का कोई मजहब नहीं होता.।।
गुलज़ार
सोमवार, 9 जनवरी 2017
इस्लाम में औरत का मक़ाम
जब बेटी पैदा होती है तो बाप के लिए जन्नत का दरवाज़ा खुलवाती है।
जब बीबी बनती है तो अपने शौहर का आधा दीन मुकम्मल करवाती है।
और जब माँ के दर्जे पर फ़ाइज़ होती है तो जन्नत उसके क़दमों तले रख दी जाती है।
इस्लाम में औरतों के मक़ाम और शिक्षा के प्रसार में महिलाएं इस्लाम के भूमिका का अंदाज़ा इस से लगाया जा सकता है कि दुनिया की पहली यूनिवर्सिटी 859 में मुराक्स के शहर वावोस में जामिया alqaraweyen में स्थापित की गई थी उसकी फाउंडर और हेड एक मुस्लिम महिला फातिमा अल फहरी थी जिस के पिता मोहम्मद अल फहरी एक दौलत मन्द ताजिर थे।इस लिए ये ख्याल बिल्कुल ग़लत है कि इस्लाम औरतों के शिक्षा का विरोधी है।
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