गुरुवार, 16 जनवरी 2025

बिहार की सियासत में मुसलमानों की भागीदारी

बिहार की सियासत में मुसलमानों की भागीदारी न के बराबर है जिसका खामियाजा बिहार के मुसलमानों को उठाना पड़ रहा है। बिहार में मुसलमानों की आबादी 18 प्रतिशत है और बिहार में कुल 243 विधानसभा सीट है उस हिसाब से मुसलमान का 42 से 43 mla होना चाहिए था मगर सभी पार्टियों से जीत कर कितने मुस्लिम विधायक आये  कुल 19 के करीब । ऐसा क्यों होता है ये सोचने और ग़ौर व फिक्र करने की बात है । हम को आबादी के हिसाब से बिहार की सियासत में हिस्सेदारी नहीं मिलती उस की ख़ास वजह हमारी बिहार की सियासत में भागीदारी कम है। हाँ हम सियासत तो करते हैं मगर हमारा दायर महदूद होता है हमारी सियासत चाय दूकान, पान दुकानों तक महदूद होती है पंचायत, ब्लॉक, ज़िला और प्रदेश के सतह की नहीं होती।आज हमें बिहार की सियासत में हिस्सेदारी लेने के लिए उन महदूद दायरों से बाहर निकलकर बिहार की सियासत में बढ़ चढ़ कर भागीदारी सुनिश्चित करने की ज़रूरत है तभी हमको बिहार की सियासत में आबादी के मुताबिक हिस्सेदारी मिल सकती है हमें बिहार की सियासत में अहम भूमिका निभाना होगा और बिहार के मुसलमानों की नुमाइंदगी करनी होगी

मंगलवार, 14 जनवरी 2025

सोशल मीडिया की ताकत

सोशल मीडिया की ताकत बहुत अधिक है, और यह हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित कर सकता है। यहाँ कुछ तरीके हैं जिनसे सोशल मीडिया की ताकत का उपयोग किया जा सकता है:

सोशल मीडिया की ताकत के सकारात्मक पहलू
1. *जानकारी का प्रसार*: सोशल मीडिया के माध्यम से हम दुनिया भर में जानकारी को तेजी से फैला सकते हैं।
2. *संपर्क और संवाद*: सोशल मीडिया के माध्यम से हम दुनिया भर के लोगों से जुड़ सकते हैं और उनके साथ संवाद कर सकते हैं।
3. *व्यवसाय और विपणन*: सोशल मीडिया के माध्यम से हम अपने व्यवसाय को बढ़ावा दे सकते हैं और ग्राहकों तक पहुंच सकते हैं।
4. *सामाजिक आंदोलन*: सोशल मीडिया के माध्यम से हम सामाजिक आंदोलनों को बढ़ावा दे सकते हैं और लोगों को एक साथ ला सकते हैं।
5. *शिक्षा और सीखना*: सोशल मीडिया के माध्यम से हम शिक्षा और सीखने के अवसरों को बढ़ा सकते हैं और लोगों को नई जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

सोशल मीडिया की ताकत के नकारात्मक पहलू
1. *फेक न्यूज और गलत जानकारी*: सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और गलत जानकारी का प्रसार हो सकता है, जो लोगों को भ्रमित कर सकता है।
2. *साइबर बुलिंग और ऑनलाइन उत्पीड़न*: सोशल मीडिया पर साइबर बुलिंग और ऑनलाइन उत्पीड़न की समस्या हो सकती है, जो लोगों को मानसिक रूप से प्रभावित कर सकती है।
3. *निजता और सुरक्षा की समस्या*: सोशल मीडिया पर निजता और सुरक्षा की समस्या हो सकती है, जो लोगों की व्यक्तिगत जानकारी को खतरे में डाल सकती है।
4. *समय की बर्बादी और लत*: सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग समय की बर्बादी और लत का कारण बन सकता है, जो लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
5. *सामाजिक अलगाव और एकांत*: सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग सामाजिक अलगाव और एकांत का कारण बन सकता है, जो लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।

सोशल मीडिया की ताकत का उपयोग करने के लिए, हमें इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को समझना होगा और इसका उपयोग जिम्मेदारी से करना होगा।

सोमवार, 13 जनवरी 2025

बिहार की सियासत में मुसलमानों की भागीदारी

बिहार की सियासत में मुसलमानों की भागीदारी एक जटिल और बहुस्तरीय मुद्दा है। बिहार में मुसलमानों की आबादी लगभग 17% है, और वे राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

बिहार में मुसलमानों की राजनीतिक भागीदारी के कई पहलू हैं। एक ओर, मुसलमानों ने बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, खासकर विधानसभा और लोकसभा चुनावों में। कई मुस्लिम नेता बिहार की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जैसे कि डॉ. मोहम्मद अली अशरफ फातमी और अब्दुल बारी सिद्दीकी ¹।

दूसरी ओर, बिहार में मुसलमानों को अक्सर राजनीतिक प्रक्रिया से अलग-थलग महसूस होता है। उन्हें अक्सर अपने अधिकारों और हितों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इसके अलावा, बिहार में मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा की घटनाएं भी हुई हैं ²।

बिहार में मुसलमानों की राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

- *राजनीतिक प्रतिनिधित्व में वृद्धि*: मुसलमानों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व में अधिक अवसर प्रदान करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।
- *शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक विकास*: मुसलमानों के बीच शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने से उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया में अधिक प्रभावी ढंग से भाग लेने में मदद मिल सकती है।
- *भेदभाव और हिंसा के खिलाफ कार्रवाई*: बिहार में मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने से उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया में अधिक सुरक्षित और समावेशी महसूस कराया जा सकता है।

शनिवार, 11 जनवरी 2025

मीडिया हाऊस प्लान

अज़ीज़ बर्नी
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मास्टरमाइंड (Master Mind) , ऐडिटर(Editor) , प्लानर (Planner), इक्ज़ीक्यूटर विथ क्रेडिबिलिटी (Executer With Credibility) , एबिलिटी (Ability), कमिट्मेंट (Commitment) ये हो सकता है वो पहला आदमी जो मीडिया हाऊस प्लान करे और उसमें ये सब ख़ूबियाँ हों,  इसके बाद जो एक शख़्स चाहिए वो भी तक़रीबन उस जैसा ही हो,  दरअसल उसका नेमुलबदल हो,  ताकि हर हाल में सिस्टम काम करता रहे। अब मैं 2 तरीक़े आपके सामने रखता हूँ जिन के ज़रिए मीडिया हाऊस चलाया जा सकता है। पहला तरीक़ा जिस पर मीडिया हाऊस चल रहे हैं (1) कॉर्पोरेट हाऊस जिस के पास फ़ंड्ज़ इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure), मैन पावर (Man power) और मीडिया हाऊस चलाने का विज़न और रीज़न हो या फिर ऐसी तमाम सलाहियतों वाला कोई शख़्स हो जिस में ज़बरदस्त विल पावर (Will Power) हो और जिसे अवाम की भरपूर हिमायत हासिल हो, दोनों सूरतों को सामने रख कर बात करते हैं। एक न्यूज़ चैनल चलाने के लिए सरकार से लाईसेंस मिल जाने के बाद, कम से कम वन टाइम इनवेस्टमेंट (One Time Investment) 5 करोड़ रुपया,  फिर हर महीने चलाने का ख़र्च क़रीब 1 करोड़ रुपया,  क़ौमी सतह का एक अख़बार चलाने का वन टाइम इनवेस्टमेंट (One Time Investment) क़रीब 2 करोड़ रुपया और हर महीने तक़रीबन 1 करोड़ रुपया जिसमें प्रिंटिंग प्रैस कहीं भी अपना नहीं, सब आउट सोर्सिंग(Out Sourcing)। स्टाफ़ की ज़रूरत 150 टी वी के लिए 125 अख़बार के लिए इनमें ज़िला सतह पर रिपोर्टर्स की तादाद शामिल नहीं है। चैनल के ख़ुद कफ़ील होने के लिए कम से कम एक बरस और अख़बार के लिए 6 महीने दरकार हैं।
दूसरा तरीक़ा फेसबुक और ट्विटर को अपना अख़बार और यू-ट्यूब को अपना चैनल मानो, क़ौम का हर फ़र्द इसमें शामिल हो,  ख़र्च कुछ भी नहीं,  ज़रूरत सिर्फ 1  कमीटेड (Committed)  साथी की जो टेक्निकली परफ़ेक्ट (Technically Perfect)  हो और 24 घंटे काम करने का ज़हन रखता हो,  जब मैं लिखूं या बोलूँ तो ट्विटर और फेसबुक समेत तमाम सोशल नेटवर्किंग साईटस (Social Networking Sites) पर डाल दे और जब मैं कैमरे के सामने बोल रहा हूँ तो उसे रिकार्ड कर यू-ट्यूब पर डाल दे। डीवीडी (DVD) की शक्ल दे दे ताकि मसाजिद मदारिस तक पहुँचाया जा सके,  इस तहरीक को करोड़ों लोगों तक पहुंचाने के लिए सबको अपनी अपनी सतह पर शामिल होना होगा,  मसलन अपनी इलाक़ाई ज़बान में तर्जुमा कर नेट पर डालना, मसाजिद मदारिस तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी क़बूल करना,  जो लिखा उसे पोस्टर की शक्ल में अपने नाम के साथ अख़बारात में रख कर या चस्पा करके अवाम तक पहुंचाना। तरीक़े और भी हैं। मैं रोज़ लिखूं पूरा पेज हिन्दी और उर्दू में कोई एक शख़्स या ग्रुप ज़िम्मेदारी ले मैं उसे मेल कर दूं,  फिर उसकी मर्ज़ी पोस्टर की शक्ल दे कर चस्पा करे या किसी भी तरह छपवाकर फोटो कॉपी करा कर तक़सीम करे,  इसी तरह इंटरनेट के ज़रिए दुनिया के किसी भी कोने में अपनी स्पीच का वीडियो भेजा जा सकता है जिसे आप अपने केबल ऑप्रेटर के ज़रिए हर घर तक पहुंचा सकते हैं,  मैं सिर्फ इस तरीक़े पर काम कर सकता हूँ जब आप अपना पैसा ख़ुद अपने दायरे में अपने ज़रीया ख़र्च करें,  मैं अपने नाम पर या अपने ज़रिए किसी को रक़म दिला कर एनजीओ में जमा करा कर ये काम नहीं कर सकता,  हाँ अगर कोई इदारा ख़ुद ज़िम्मेदारी ले तो मैं मुफ़्त में अपनी ख़िदमत दे सकता हूँ, मुलाज़मत नहीं कर सकता,  किसी से चंदा कर के ये सब नहीं कर सकता, अपने बूते पर जो कर सका वो करूंगा। फिर उसे आगे बढ़ाने के लिए आप जो कर सकते हैं करें,  मसलन मैं किसी टीवी चैनल से रोज़ 30 मिनट का टाइम ख़रीद कर अपने नज़रियात के साथ आता हूँ आप उसे अपने नाम के साथ स्पांसर (Sponsor )करें,  वो पैसा अदा करें,  लोगों को इस टाइम पर देखने के लिए आमादा करें।
आप दुनिया में कहीं भी अख़बार निकाल रहे हैं, अपना लिंक मुझे भेजें,  मुफ़्त में मेरा पेज हासिल करें और छापें,  हर शहर में अपना अख़बार प्लान करें,  मैं तमाम पेज तैय्यार कर आप के दफ़्तर या प्रेस में भेज दूं आप सिर्फ पेज तैय्यार करने का ख़र्च अदा करें। अपने दायरे में सब नफ़ा नुक़्सान आप का।
तरीक़े और भी हैं,  छोटे से छोटे और बड़े से बड़े पर काम कर रहा हूँ,  दोनों तरह का तजुर्बा है , फ़िलहाल मेरी बात को समझने वाले टेक्नीकल एक्सपर्ट और ज़िम्मेदारी उठाने वाले मेरी ई-मेल आईडी पर तफ़्सील से बताएं कि वो क्या कर सकते हैं, अगर मुझे हर शहर में एक ऐसी टीम मिल सकती है,  जो केबल टीवी ऑप्रेटर से बात कर के या मजबूर कर के मेरी बात अपने इलाक़े तक पहुंचाने का इंतेज़ाम कर लें तो मैं आप के घर टीवी पर अपनी बात कहता नज़र आऊँगा,  अगर आप मुझे बताएं कि हर रोज़ किस शहर में कितने अख़बारों के ख़रीदार बना कर पेशगी रक़म अदा कर सकेंगे तो मैं इस लाईन पर ग़ौर करूं,  रास्ते कई और हैं,  किसी एक पर चलना भी है,  बस तय ये करना है कि आप किस तरह तहरीक का हिस्सा बनेगें,  फिर वही तरीक़ा अपनाया जाय। सिर्फ एक आख़िरी बात कह कर इजाज़त लूंगा मेरे तमाम मुख़ालिफ़ीन और बहुत से कद्दावर सियासतदानों को मुझ से सिर्फ एक ग़लती या एक बदनाम किए जा सकने वाले इल्ज़ाम का इंतिज़ार है, जो क़ौम के दरमियान इमेज को ख़राब कर सकें,  लिहाज़ा, पैसे वैसे से दूर रह कर ख़िदमत अंजाम दे सकता हूँ,  माली मदद लेकर काम नहीं कर सकता,  आप भी सोचें और बताएं क्या तरीक़ा अपनाया जाय? मेरी ई-मेल आईडी azizburneyngo@gmail.com  है। घर का पता- रेशमा विला,  डी-188,  सैक्टर- 5 5,  नोयडा, उत्तर प्रदेश, पिन कोड- 201301...... आप के मश्वरों का इंतेज़ार रहेगा...........

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