रविवार, 2 अक्तूबर 2016

ओपन मीडिया हाउस

अज़ीज़ बर्नी
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सोशल नेटवर्किंग साइट को मैं एक "open media hose" की शक्ल में देख रहा हूँ आज सुबह पेस बुक टीम ने 02 अक्टूबर 2012 में लिखे गए मेरे लेख को पोस्ट किया था मै रोज फेस बुक की ऐसी तमाम पोस्ट को पढ़कर अपने कुछ फेस बुक दोस्त को फाॅर्वाड करता हूँ ।आज मैं पढ़ ही रहा था कि मेरा फोन ब्लाॅक हो गया शायद किसी ने हैक्ड किया फिर कई घंटे लगे इसे सक्रिय करने में इसी लिए आज लिखने में देर हुई ।


कल मैंने इस तकरीक को जिन्दा रखने के लिए सोशल रिलेशंस शीप पर बात की थी शीर्षक था "खून के रिश्ते, जुनून के रिश्ते,सुकून के रिश्ते " मकसद था आप सब को ऐसे रिश्तों की दावत देना और इस मीडिया तारीख से जोड़ना बहुत ही अच्छा रेसपाॅनस मिला तकरीबन 100 दोस्तों ने सकारात्मक टिप्पणी किया और 150 लोगों ने पसंद किया ये मेरी शुरुआत के लिए बड़ी हौसला अफ्जा बात है।

मैं कोशिश कर रहा था कि आज की लेखनी में सबका जिक्र करूँ ये हो नही पाया इंसा अल्लाह सबसे सम्पर्क कर के शुक्रिया अदा करूँगा कुछ लोगों ने टीम मीम्बर की तरह काम करना भी शुरू कर दिया है मै उनका शुक्र गुजार हूँ ।आइये अब "ओपन मीडिया हाउस "के प्लान पर बात करते हैं कल रात देर तक मैं यू ट्यूब पर अपनी स्पीच देखता रहा काफी हैं और कई दोस्तों ने मुझे लिखा भी है कि उनके पास मेरी स्पीच हैं कुछ ने भेजी भी हैं मैं इन सबसे दरखाश्त करता हूँ इन सबको यू ट्यूब पर अपलोड कर दें ये सब आपके "ओपन मीडिया हाउस "का हिस्सा बन जाएगी जल्द ही मैं रिसर्च सेंटर में एक स्टूडियो बनाने जा रहा हूँ जहाँ से आप मुझे लाईभ बोलते हुए देख सकेंगे ।

आज मेरे दामाद शकील अहमद अपने एंटरनेट टीवी की ओपनिंग भी करने जा रहे हैं उन्हें मुबारक बाद ।शाम 6 बजे से 7 बजे तक अपने दोस्तों से बात और चैट के लिए एक्टिव रहने से भी directly interact करने का मौका मिल रहा है स्टूडियो बन जाने के बाद ये 7बजे का बात भी लाईभ होगा दोस्तों से अपील है कि मुझे गाईड करें ताकि एक ऐसा मीडिया हाउस सामने लाने मे मदद मिले।जिस वक्त मैं अजीजुल हिन्द उर्दू रोजनामा प्रकाशित कर रहा था दुनिया के 138 मुल्को में तकरीबन 40 लाख  पाठक थे थोड़ा समय लग सकता है लेकिन उम्मीद इससे अधिक है ।
हम जल्द ही सभी सोशल नेटवर्किंग साइट से जोड़ देंगे इस तरह एक समाचार पत्र का एंटरनेट संस्करण सबके सामने होगा मैं जो अपने सोशल नेटवर्किंग पर दोस् तों से अनुरोध किया था आप दुनिया में जहाँ कहीं भी हैं इस तहरीक से जुड़े अभी मैं सारा प्लान सामने नही रख रहा हूँ काम जारी रहे और आहिस्ता-आहिस्ता सब सामने आता रहे लोग जुड़ते रहें इन की राय शामिल होती रहे तो इसे और बेहतर शक्ल दी जा सकेगी मुझे याद है आज के ही दिन 2 अक्टूवर 1992 में सहारा उर्दू की मैं ने शुरुआत की थी एक मासिक पत्रिका की शक्ल में कौन जानता था उस वक्त कि ये आजाद हिंदुस्तान का सबसे बड़ा उर्दू मिडिया होगा सहारा का इस्तेमाल मैंने किया या सहारा ने मेरा बहरहाल मै अपने मकशद मे कामयाब रहा कौम की तर्जुमानी में कामयाब रहा ।मेरे अदारती अवधि में प्रकाशित होने वाला मासिक पत्रिका बज़्मे सहारा दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत मासिक बना,आलमी सहारा उर्दू टीवी न्यूज़ चैनल और साप्ताहिक समाचार पत्र "रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा दिल्ली, लखनऊ गोरखपुर,मुम्बई हैदराबाद कोल्कता पटना रांची बंगलोर और कानपूर से एक साथ 21संस्करण के साथ प्रकाशित होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा दैनिक और सभी उर्दू प्रकाशन और उर्दू न्यूज़ चैनल के साथ उर्दू का सबसे बड़ा उर्दू मिडिया हाउस था जिसका मैं सिर्फ ग्रुप एडिटर ही नही फाउंडर भी था प्लैनेर भी और exeicuter भी अगर मैं साज़िश का शिकार नही होता तो अब तक श्रीनगर भोपाल चंड़ीगढ़ जयपुर और हिंदुस्तान के बाहर जद्दाह दुबई लन्दन वाशिंगटन से भी जारी हो चूका होता सहारा श्री का वो पत्र आज भी मेरे पास है जिसमे किसी भी मुदाखलत के बिना मुझे ये दैनिक उर्दू रोज़नामा प्रकाशित करने का इख़्तेयार दिए गए थे।
अज़ीज़ुल्हिन्द की शक्ल में अपना उर्दू दैनिक प्रकाशित किया मगर कम वक्त ही जारी रह सका लेकिन उसने बहुत मक़बूलियत हासिल की सोलह पृष्ट और सभी रंगीन सबसे बड़ा उर्दू दैनिक था ओपन मिडिया हाउस के प्लानिंग के वक्त इन सब बातों के करने का मक़सद सिर्फ इतना कि शुरुआत के पीछे छिपे इस बड़े मक़सद को ज़ेहन में रखें और इस बात को रखें कि आज ही के दिन मेरे ज़रिये शुरू होने वाला ऊर्दू दैनिक उर्दू का सबसे बड़ा उर्दू मिडिया हाउस बना तो आज की ये छोटी सी शुरुआत आने वाले कल में दुनिया का सबसे बड़ा ओपन मिडिया हाउस क्यों नही हो सकता बस आपके साथ आने की देर है ये हो कर रहेगा।

 

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